Saturday 28 April 2012

Haale Dil

हाले दिल अब अपना में किससे बयां करूँ 
सपने जब हो टूट रहे किससे अर्जियां करूँ

रातें भी अब ना कटती सपनो के मुआयने से 
दिन अब ये क्यूँ नही ढ़लता सूरज के डूब जाने से 

हर साँस मुझसे  अब ये कहती  तू क्यूँ नही छोड़े मेरा 
धड़कन ये आवाज़ लगाती अब तू हीबसने का सहारा

सहारा तू मुझसे जीने का अब मत ये छीन 
वैसे भी अब जीना है घुट घुट के दो चार दिन 

जाने क्यूँ ये दो चार दिन लगते हैं बरस मुझे
अपनी ही सांसे अब खफा है मुझसे कोसती हर वक़्त मुझे 

थक चुका हूँ अब गम बांटते बांटते तेरे इस सुन्दर जहाँ में 
अब तो बस चाह येही की दम लूं आसमान के आशियाँ में

सुना है खुदा सुनता है सबकी शायद अब मेरी भी सुनले
दुःख तुझको देनेको शायद अब ना मेरे प्राण बंचे

Tuesday 24 April 2012

Tu He Meri Zindgee Hai

A Song...........

तुझको पाया दिल मैं  हारा 
पाया तुझको तो दिल ये पुकारा
     तू ही  मेरी ज़िन्दगी है तू हे मेरी बंदगी है-२

जब से तू आई ज़िन्दगी में ,
सपनो में देखि एक दुनिया।
फूलों तारों में खोजूं चेहरा तेरा,
खोया रहूँ मैं हर पल हर जगह 

      तू ही मेरी ज़िन्दगी है तू हे मेरी बंदगी है-२

एहसास मुझे अब ये होता है,
धड़कन चलती है मेरी तेरी सांसों से।
जब तू ना पास हो ये लगता है,
धड़कन रुक ना जाए इन हालातों से ।
        
       आवाज़ है तुझको लगायी 
       अबतो आजा तू ओ हरजाई।
      तू ही मेरी ज़िन्दगी है तू हे मेरी बंदगी है-२

तुझको पाया दिल मैं  हारा 
पाया तुझको तो दिल ये पुकारा
     तू ही  मेरी ज़िन्दगी है तू हे मेरी बंदगी है-२

Monday 23 April 2012

Tu Kabhi Meri Hogi.....

तू कभी मेरी  होगी 

दिल की पनघट पर बंसी कोई बजाता है,
धड़कन की गहराईयों को छूता चला जाता है।
शामो सेहर मन सपने बुनता रहता है,
कि तू कभी मेरी होगी तू कभी मेरी होगी ....

         अनजाने या जाने से पता नही किस मायने से।
         दिल के दरवाजे पर कोई दस्तक देता जाता है।
         हवा का एक झोंका एहसास मुझे दिलाता है,
         ये सपना नहीं हकीकत है, दरवाजे पर कोई आया है।

कुछ दिन गए बीत प्रेम में हम गए रीत,
दिल की रफ़्तार देख लगा गए हम वक़्त से जीत।
देखा न था मैंने अतीत बस दिल गए जा रहा था गीत,
कि तू कभी मेरी होगी कि तू कभी मेरी होगी.........

        फिर वक़्त ने ऐसी ठोकर लगायी ,
        जो कभी सोचा न समझा बिन बदल बरसात वो आई।
        आंधी थी वो इतनी तेज़ जो सांसे भी उडती नज़र आई,
        जब दिल के झरोखे से देखा तो लगा किसी ने आवाज़ है जोर से लगाई।

टुटा सपना मेरा ऐसे पुरे टूट गए अब हम,
जीवन के अंतिम क्षण जीने को जैसे सांसे पर गयी हों कम।
कोशिश करूँगा जाते जाते देता न जाऊं तुमको गम,
हो गयी अब आँखे नम और न है जाने का गम और न है जाने का गम .........

AASHA

काश  की होता मैं एक फूल जैसा 
और न होती कुछ सुनने की लालसा
जीवन होता बिलकुल छोटासा 
गम न होता मरने का जरासा
क्योंकि पूरी हो गयी होती मेरी लालसा 
                 पर बदकिस्मती से 
प्रकृति ने मुझे रूप दिया मानव का
पर दर्द दिया तुम्हे सारे  ज़माने  का
चाहता हूँ तुम्हे कर दूं इस दर्द से दूर
इसलिए जाना चाहता हूँ इस दुनिया से दूर
जाना चाहता हूँ उस चाँद के पास
और न है फिर वहां से आने की आस
चाहता हूँ आज इस दुनिया को छोर दूं 
आज तुम्हारे दामन  में अपना दम तोर दूं