Saturday 28 April 2012

Haale Dil

हाले दिल अब अपना में किससे बयां करूँ 
सपने जब हो टूट रहे किससे अर्जियां करूँ

रातें भी अब ना कटती सपनो के मुआयने से 
दिन अब ये क्यूँ नही ढ़लता सूरज के डूब जाने से 

हर साँस मुझसे  अब ये कहती  तू क्यूँ नही छोड़े मेरा 
धड़कन ये आवाज़ लगाती अब तू हीबसने का सहारा

सहारा तू मुझसे जीने का अब मत ये छीन 
वैसे भी अब जीना है घुट घुट के दो चार दिन 

जाने क्यूँ ये दो चार दिन लगते हैं बरस मुझे
अपनी ही सांसे अब खफा है मुझसे कोसती हर वक़्त मुझे 

थक चुका हूँ अब गम बांटते बांटते तेरे इस सुन्दर जहाँ में 
अब तो बस चाह येही की दम लूं आसमान के आशियाँ में

सुना है खुदा सुनता है सबकी शायद अब मेरी भी सुनले
दुःख तुझको देनेको शायद अब ना मेरे प्राण बंचे

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