Monday 23 April 2012

Tu Kabhi Meri Hogi.....

तू कभी मेरी  होगी 

दिल की पनघट पर बंसी कोई बजाता है,
धड़कन की गहराईयों को छूता चला जाता है।
शामो सेहर मन सपने बुनता रहता है,
कि तू कभी मेरी होगी तू कभी मेरी होगी ....

         अनजाने या जाने से पता नही किस मायने से।
         दिल के दरवाजे पर कोई दस्तक देता जाता है।
         हवा का एक झोंका एहसास मुझे दिलाता है,
         ये सपना नहीं हकीकत है, दरवाजे पर कोई आया है।

कुछ दिन गए बीत प्रेम में हम गए रीत,
दिल की रफ़्तार देख लगा गए हम वक़्त से जीत।
देखा न था मैंने अतीत बस दिल गए जा रहा था गीत,
कि तू कभी मेरी होगी कि तू कभी मेरी होगी.........

        फिर वक़्त ने ऐसी ठोकर लगायी ,
        जो कभी सोचा न समझा बिन बदल बरसात वो आई।
        आंधी थी वो इतनी तेज़ जो सांसे भी उडती नज़र आई,
        जब दिल के झरोखे से देखा तो लगा किसी ने आवाज़ है जोर से लगाई।

टुटा सपना मेरा ऐसे पुरे टूट गए अब हम,
जीवन के अंतिम क्षण जीने को जैसे सांसे पर गयी हों कम।
कोशिश करूँगा जाते जाते देता न जाऊं तुमको गम,
हो गयी अब आँखे नम और न है जाने का गम और न है जाने का गम .........

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